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मुझसे भूल हुई खुद को खोना भी क्या भूल है मैं कबू

मुझसे भूल हुई 
खुद को खोना भी क्या भूल है 
मैं कबूलता हूं 
सौ सौ बार 
सौ गलतियां उभर कर आती है सामने मेरे 
प्रश्नचिन्ह किस पर लगे 
माथा रिक्त हैं सामने मेरे 
उलझनओ के इन पहियों में 
कुछ और समझ नहीं आता 
वक्त की कटी इन बेड़ियों में 
कुछ और नजर नहीं आता
जवाब किससे मैं मांगू खोया तो खुद को है
सवाल किससे मैं पूछूं 
गलतियों की बारिश मै भिगोया तो खुद को है

Yãsh #Waterfall&Stars #poemoftheday #poem #Poetry #Shayari #words
मुझसे भूल हुई 
खुद को खोना भी क्या भूल है 
मैं कबूलता हूं 
सौ सौ बार 
सौ गलतियां उभर कर आती है सामने मेरे 
प्रश्नचिन्ह किस पर लगे 
माथा रिक्त हैं सामने मेरे 
उलझनओ के इन पहियों में 
कुछ और समझ नहीं आता 
वक्त की कटी इन बेड़ियों में 
कुछ और नजर नहीं आता
जवाब किससे मैं मांगू खोया तो खुद को है
सवाल किससे मैं पूछूं 
गलतियों की बारिश मै भिगोया तो खुद को है

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Yãsh BøRâ

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