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कल, ​मन के अहाते में, ​एक बहती शीतल पुरवईया, ​हौले

कल,
​मन के अहाते में,
​एक बहती शीतल पुरवईया,
​हौले से आयी,
​दस्तक देकर,
​दहलीज पर मेरी,
​वो स्नेह के,
​किवाड़ों को खटखटायी,
​
​मैंने भी,
​अलसाई नींद से उठकर,
​जब किवाड़ खोले,
​तो..वो पुरवईया,
​वात्सल्य से मेरा,
​माथा सहलाकर कानों में,
​ममता पूर्वक,
​कुछ फुसफसायी, 
कल,
​मन के अहाते में,
​एक बहती शीतल पुरवईया,
​हौले से आयी,
​दस्तक देकर,
​दहलीज पर मेरी,
​वो स्नेह के,
कल,
​मन के अहाते में,
​एक बहती शीतल पुरवईया,
​हौले से आयी,
​दस्तक देकर,
​दहलीज पर मेरी,
​वो स्नेह के,
​किवाड़ों को खटखटायी,
​
​मैंने भी,
​अलसाई नींद से उठकर,
​जब किवाड़ खोले,
​तो..वो पुरवईया,
​वात्सल्य से मेरा,
​माथा सहलाकर कानों में,
​ममता पूर्वक,
​कुछ फुसफसायी, 
कल,
​मन के अहाते में,
​एक बहती शीतल पुरवईया,
​हौले से आयी,
​दस्तक देकर,
​दहलीज पर मेरी,
​वो स्नेह के,
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