कल, मन के अहाते में, एक बहती शीतल पुरवईया, हौले से आयी, दस्तक देकर, दहलीज पर मेरी, वो स्नेह के, किवाड़ों को खटखटायी, मैंने भी, अलसाई नींद से उठकर, जब किवाड़ खोले, तो..वो पुरवईया, वात्सल्य से मेरा, माथा सहलाकर कानों में, ममता पूर्वक, कुछ फुसफसायी, कल, मन के अहाते में, एक बहती शीतल पुरवईया, हौले से आयी, दस्तक देकर, दहलीज पर मेरी, वो स्नेह के,