मुश्किल है अपना मेल प्रिये , ये रेल नहीं है खेल प्रिये !-2.
तुम घुमावदार GT रोड, मैं सीधा-साधा रेल प्रिये....
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये रेल नहीं है खेल प्रिये....
तुम खुले हवा में सोते हो , मैं इंजन में ही रोता हु !
तुम थाली में खाना खाना खाती, मैं टिफिन में हाथें धोता हु !!
तुम मार्सिटीज से निकले तो, मैं पैदल लॉबी जाता हु ,
तुम ताजा भोजन करती हो ,मैं सुखी रोटी चवाता हूँ ! जज्बातों की बातों में ..... न ऐसे हमे धकेल प्रिये .........
मुश्किल है अपना मेल प्रिये , ये रेल नहीं है खेल प्रि