के मुस्कराहट वो भी तेरी कितना हमको भाती है!! सोच कर जलाने को मुझको जब तू मुस्काती है!! केे दर्द ए दिल की दवा ... मिलती नहीं कोई यहाँ!! मर्ज़ भी तू ... है मेरा, हक़ीम भी तू बन जाती है!! कहना था बस कह दिया ... ~~~ स्वरचित ~~~ हकीम