गुल से लिपटी हुई हवा ले ली जान तो बख़्श दी जुबाँ ले ली यूं तो माफी भी मिल रही थी मगर हमने कुछ सोंचकर सजा ले ली जब भी सोचा कोई खयाल न आने पाये तो इसी सोंच ने खयाल की जगह ले ली है इस तरह से मोहब्बत में मशवरा जैसे किसी मरीज ने मरीज से दवा ले ली #DVSINGH ©M Ali Siddiqui #paper