तनहा ज़िन्दगी वो झुका हुआ नीला आसमाँन वो फैली सूरज की किरणे। पहाड़ो के करीब खड़ी में, फिर भी क्यों हूँ अकेली में। क्या में लौट जाऊँ? या इन वादियों में खो जाऊँ। क्या में खामोश रहूँ? या फिर सूरज के संग बतियाऊं। मन मेरा है विचलित, जैसे आया हो कोई तूफ़ान किस और जाऊँ बता तू, ऐ बईमान। कुछ ही पलों में रात हो जाएगी, मुझे अपने आगोश में ले लो, दूर कर दो मेरी तन्हाई।। ©rishika khushi #Winters #तन्हाज़िन्दगी