शाम के हर रंग का रुप है... तो तुमसे है, जिंदगी की बौछार में बहार तो तुमसे है, आग की तपिश में जो आराम है, तुमसे है, बर्फ की ठिठुरन में जो ठंडक है, तुमसे है, आंखों में बसे जो आंसू, इनमें नमी तुमसे है, दिल में चुभे जो कांटे होते महसूस तुमसे हैं, ढ़लते सुरज की रेशमी किरणें रौशन तुमसे, बादलों को डूबोया रास-संदली शाम तुमसे है, क्या कहें कि क्या करें,शब्दों का साथ तुमसे है, देखो ना, इनमें मायने और आवाज़ तुमसे है! शाम के हर रंग का रुप है... तो तुमसे है, जिंदगी की बौछार में बहार तो तुमसे है, आग की तपिश में जो आराम है, तुमसे है, बर्फ की ठिठुरन में जो ठंडक है, तुमसे है, आंखों में बसे जो आंसू, इनमें नमी तुमसे है दिल में चुभे जो कांटे होते महसूस तुमसे हैं, ढ़लते सुरज की रेशमी किरणें रौशन तुमसे,