हर किस्से को एक पड़ाव पर आकर कहानी होने की ग़लतफहमी होती है, और वहां से शुरू होता है एक तन्हा सफर उस किस्से का। क्यूंकि हर कहानी हर किस्से से उसका हिस्सा लेकर आगे बढ़ जाती है, पीछे रह जाता है वो अधूरा किस्सा, वो अधूरी बात, उस अधूरे किस्से की अधूरी मुलाकात, अधूरी मुलाकात का वो अधूरा स्पर्श अधूरे स्पर्श का वो अधूरा अंश। पर किस्सा जानता है यह सब बात, इसलिए हर अधूरे में जीता है पूरा पल पूरी कहानी, पूरी बात, पूरी मुलाकात, पूरा स्पर्श, पूरा अंश। ना उस बात का पता, ना मुलाकात का, ना उस स्पर्श का, ना उस अंश का पर किस्सा चाहता है कहानी की कहानी जरूर पूरी हो। ©Swechha S हर किस्से को एक पड़ाव पर आकर कहानी होने की ग़लतफहमी होती है 💌 #5Feb #Black