रोज सुबह घर से निकलता हूं, तब बहुत से लोग दिखते हैं, कुछ मिलते हैं तो कुछ हंसते हैं, कुछ जाने-अनजाने होते हैं कुछ जानेमाने होते हैं, बाकी के पुरानी जान पहचान के अनजाने लगते हैं। हर कोई अलग है, किसी की बोली भीन्न है तो किसी का पहनावा विभिन्न है, किसी का रंग नोखा हैं तो किसी का ढंग अनोखा है। पर एक बात सभी में एक सी है, वे सब कुछ ना कुछ ढूँढने निकले हैं, बच्चे ज्ञान ढूँढने निकले हैं, बड़े काम ढूँढने निकले हैं, कुछ खुशियां ढूँढने निकले हैं, कुछ खुद को ढूँढने निकले हैं। पर हर शाम को वो सब कुछ भारी सा अपने संग लिए घर की और निकलते हैं, बच्चों के संग जानकारियां का झोला हैं, बड़ों के संग चिंताओं की अटैची है, कुछ अपनी अनंत इच्छाओं के थैले को उठाए हुए हैं, और जो खुद को ढूंढने निकले थे वो अपने अकेलेपन के साये को संग लेकर लौट रहे है। #ढूँढनेनिकले #hindipoetry #findingsomething #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqbaba #grishmaquotes Collaborating with YourQuote Didi