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कितनी ही बार में सोचता हूँ, कि तुम्हें सोचकर अब कु

कितनी ही बार में सोचता हूँ, कि तुम्हें सोचकर अब कुछ न लिखूँ, पर क्या करूँ मेरी सोच के हर रास्ते पर मिल जाती हो तुम और फिर वहाँ से शुरू होता है तुम्हारा और मेरे शब्दों का सफर.... #dilbechara #indorewale
कितनी ही बार में सोचता हूँ, कि तुम्हें सोचकर अब कुछ न लिखूँ, पर क्या करूँ मेरी सोच के हर रास्ते पर मिल जाती हो तुम और फिर वहाँ से शुरू होता है तुम्हारा और मेरे शब्दों का सफर.... #dilbechara #indorewale