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कोई लिख दो सफ़र ऐसा घड़ी भर को कोई जिसमें मिले तुम स

कोई लिख दो सफ़र ऐसा घड़ी भर को
कोई जिसमें मिले तुम सा घड़ी भर को !

सजा कर  चाँद  चेहरे पर गगन कहता
ज़रा  मैं  देख  लूँ   शीशा  घड़ी भर को !

नदी  मीठी  बनी  बहती कहाँ  हो  तुम
मिले तुमको  कोई प्यासा घड़ी भर को !

चुराती  है   तेरी  बोली   मेरे  दिल को
सुना दो फिर वही भाषा  घड़ी भर को !

खुलेंगे   द्वार  ज़न्नत  के   मिलेंगे  जब
जगा दो बस  यही आशा घड़ी भर को !

©malay_28 #घड़ी भर को
कोई लिख दो सफ़र ऐसा घड़ी भर को
कोई जिसमें मिले तुम सा घड़ी भर को !

सजा कर  चाँद  चेहरे पर गगन कहता
ज़रा  मैं  देख  लूँ   शीशा  घड़ी भर को !

नदी  मीठी  बनी  बहती कहाँ  हो  तुम
मिले तुमको  कोई प्यासा घड़ी भर को !

चुराती  है   तेरी  बोली   मेरे  दिल को
सुना दो फिर वही भाषा  घड़ी भर को !

खुलेंगे   द्वार  ज़न्नत  के   मिलेंगे  जब
जगा दो बस  यही आशा घड़ी भर को !

©malay_28 #घड़ी भर को
malay285956

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