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दोहा:– मन:३ मन  उपजाए   कामना,  मन  में   उपजे   

दोहा:– मन:३

मन  उपजाए   कामना,  मन  में   उपजे   पाप।
सकल जगत में छोड़ता, नित मन अपनी छाप।३।

©दिनेश कुशभुवनपुरी
  #दोहा_मन #3