अपनी उम्र बेचने निकला हूँ ख़्वाबो को खरीदने के लिए, मेरे ख़्वाब मुझसे बड़े निकल ऐ ग़ालिब क्या अब वक़्त को भी दाव पर लगा दूं?? ~Ankit Sandhya Dhulekar #दाव #ख़्वाब