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अभी फिर यह है कि जीवंत के लिए शरीर मन को सक्रिय रख

अभी फिर यह है कि जीवंत के लिए शरीर मन को सक्रिय रखना है स्वास्थ्य जीवन के लिए चलें मलयान रहने का अंत कंठ जितना ऑपर्य है उतना ही है उस दिशा का बोध है जिस और स्वस्थ रहना है दिशा वाहिनी गति निरर्थक अन्य प्राणियों के विपरीत मनुष्य ने दूरदृष्टि और अथवा मानसिक आध्यात्मिक शक्तियां इसलिए प्रदत्त है ताकि वह अपनी सोच और दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति तक सीमित ना रखें

©Ek villain #trend विपरीत  स्थिति में भी अपने मन का रखें ध्यान
अभी फिर यह है कि जीवंत के लिए शरीर मन को सक्रिय रखना है स्वास्थ्य जीवन के लिए चलें मलयान रहने का अंत कंठ जितना ऑपर्य है उतना ही है उस दिशा का बोध है जिस और स्वस्थ रहना है दिशा वाहिनी गति निरर्थक अन्य प्राणियों के विपरीत मनुष्य ने दूरदृष्टि और अथवा मानसिक आध्यात्मिक शक्तियां इसलिए प्रदत्त है ताकि वह अपनी सोच और दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति तक सीमित ना रखें

©Ek villain #trend विपरीत  स्थिति में भी अपने मन का रखें ध्यान
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