तेरा इक कतरा भी है समुंद्र की तरह अपनी शक्ल पे बनाया है हो जाऊँ मैं भी तेरी तरह। उतार के फेंक दूँ तमाम माया के रंग मैं मिल जाए अगर तेरी रहमत का टुकड़ा जरा। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ कतरा समुंद्र का