पेड़ तू काटता जा रहा, नदी-नालों को ढकता तू जा रहा, फिर भी सुकून की तलाश में पहाड़ों पर तू जा रहा, प्यारे एहसास के लिए नदियों के पास तू पहुंच रहा, इतना अजीब व्यवहार क्यों मनुष्य तू कर रहा, क्यों, तू आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ भी नहीं बचा रहा। ©Rk sharma पेड़ तू काटता जा रहा, नदी-नालों को ढकता तू जा रहा, फिर भी सुकून की तलाश में पहाड़ों पर तू जा रहा,