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रामायण की राजनीति कर सत्ता पाकर झूल रहे है, न्याया

रामायण की राजनीति कर सत्ता पाकर झूल रहे है,
न्यायालय "नमाज" पढ़ रहे, रामचंद्र को भूल रहे हैं,

रामराज्य का नारा देकर , अल्ला अकबर  बोल रहे है,
अपने घर की बिटिया" संघी", मुल्लो को अब तौल रहे हैं,

जो अब तक उल्टे चलते आये, उनको सीधा बोल रहे हैं,
अब जहाँ खोलने थे "गुरुकुल", आतंकी अड्डा खोल रहे है,

एक हाथ कम्प्यूटर सपना, एक हाथ पेन बोल रहे हैं,
फिर झारखंड के अड्डे में,ये कट्टे क्यों फिर तौल रहे है,

मूर्ख बनाना छोड़ो तुम, सब राज तुम्हारा समझ रहे हैं,
कुर्सी के चिपकू इंसानों, इतिहास तुम्हारा समझ रहे हैं..
                                       -abhay "mohit"
रामायण की राजनीति कर सत्ता पाकर झूल रहे है,
न्यायालय "नमाज" पढ़ रहे, रामचंद्र को भूल रहे हैं,

रामराज्य का नारा देकर , अल्ला अकबर  बोल रहे है,
अपने घर की बिटिया" संघी", मुल्लो को अब तौल रहे हैं,

जो अब तक उल्टे चलते आये, उनको सीधा बोल रहे हैं,
अब जहाँ खोलने थे "गुरुकुल", आतंकी अड्डा खोल रहे है,

एक हाथ कम्प्यूटर सपना, एक हाथ पेन बोल रहे हैं,
फिर झारखंड के अड्डे में,ये कट्टे क्यों फिर तौल रहे है,

मूर्ख बनाना छोड़ो तुम, सब राज तुम्हारा समझ रहे हैं,
कुर्सी के चिपकू इंसानों, इतिहास तुम्हारा समझ रहे हैं..
                                       -abhay "mohit"
abhay3461144956317

✍️Abhay

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