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मुट्ठी में कुछ सपने लेकर भरकर जेबों में आशाएं दि

मुट्ठी में कुछ सपने लेकर 
भरकर जेबों में आशाएं 
दिल में है अरमान यही 
कुछ क्र जाएं कुछ कुछ जाएं।।

सूरज सा तेज नही मुझमे 
दीपक का जलता देखोगे
अपनी हद रोशन करने से
तुम कब तक मुझको रोकोगे।।

मैं उस माटी का वृक्ष नही
जिसको नदियों ने सीचा है
बंजर माटी में पलकर मैंने 
जीवन को मृत से सींचा है।।

मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूं
सीशे से कब तक तोड़ोगे
मिटने वाला मैं नाम नही
तुम मुझको कब तक रोंकोगे।।

इस जग में जितने जुल्म नही
उतने सहने की ताकत है
दानो के भी सोर में रहकर 
सच कहने की आदत है।।

मैं सागर से भी गहरा हूँ
तुम कितने कंकड़ फेंकोगे
चुन चुन कर आगे बढूंगा मैं
तुम कब तक मुझको रोंकोगे।। ग्रेट
मुट्ठी में कुछ सपने लेकर 
भरकर जेबों में आशाएं 
दिल में है अरमान यही 
कुछ क्र जाएं कुछ कुछ जाएं।।

सूरज सा तेज नही मुझमे 
दीपक का जलता देखोगे
अपनी हद रोशन करने से
तुम कब तक मुझको रोकोगे।।

मैं उस माटी का वृक्ष नही
जिसको नदियों ने सीचा है
बंजर माटी में पलकर मैंने 
जीवन को मृत से सींचा है।।

मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूं
सीशे से कब तक तोड़ोगे
मिटने वाला मैं नाम नही
तुम मुझको कब तक रोंकोगे।।

इस जग में जितने जुल्म नही
उतने सहने की ताकत है
दानो के भी सोर में रहकर 
सच कहने की आदत है।।

मैं सागर से भी गहरा हूँ
तुम कितने कंकड़ फेंकोगे
चुन चुन कर आगे बढूंगा मैं
तुम कब तक मुझको रोंकोगे।। ग्रेट

ग्रेट