मन हो व्याकुल बहे निर्झर नेत्र तृष्णा तोहे निहारूँ एक बार,
व्यग्रता से मन हो निश्चिंत तहुँ दर्शन दो मेरे मनु पालनहार,
तुम संग प्रीत की व भक्ति की डोरी हृदय संग मोहे बांध ली,
कृष्ण कृष्ण कहते कहते ये वाणी मेरी हे! कृष्ण थकती नही,
हृदय क्रिन्दन पीड़ सताये मन मनुहारी कानाहरी मन माला जपे,
धरा-अम्बर,क्षितिज-अंतराल जो भी हो जुबाँ मेरी तेरा नाम रटे, #Krishna#yqbaba#yqdidi#YourQuoteAndMine#yqquotes#Krishnalove#vaaninhi