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तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की, मैं

तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने
को पढ़ने की,
मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों
की तरह..
#NIRAJ तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने
को पढ़ने की,
मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों
की तरह..
#NIRAJ_
तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने
को पढ़ने की,
मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों
की तरह..
#NIRAJ तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने
को पढ़ने की,
मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों
की तरह..
#NIRAJ_
nirajsahu3827

Niraj sahu

New Creator