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कभी-कभी हम खुद एक खुली रोशनी के समान बन जाते हैं

कभी-कभी हम खुद एक खुली  रोशनी के समान बन जाते हैं लोगों के लिए,  फिर भी  लोगों की  आखों में  अँधेरा  ही छाया रहता है।

©natwar singh bhati #khoj 
#khoj
कभी-कभी हम खुद एक खुली  रोशनी के समान बन जाते हैं लोगों के लिए,  फिर भी  लोगों की  आखों में  अँधेरा  ही छाया रहता है।

©natwar singh bhati #khoj 
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