ढाल रहे थे अपने पैमानें में, आज पैमाने में ख़ुद ढल रहें.. आजमाना शौक था जिनका, आज ख़ुद एक नुमाईश बन रहे.. हावी था नेक होने का गुमान, ऐब अब उजागर उनके हो रहें.. कीचड़ उछाले जितना औरो पे, ख़ुद ही दागदार वो हो रहे.. किये पे अपने शायद शर्मिंदा हो रहे.. हाँ,कर्मों पर अपने रो रहे !! ©Chanchal's poetry #Karma #vibes #nojotowriters #chanchalspoetry #Light