जो एक उम्र हँसा था मुझे सताते हुए अब नहीं देख सका हमें अश्क बहाते हुए उसके सताने में भी झलकता था प्यार उसका मना लेता भी था वो हमें हँसते हँसाते हुए नाराज़ ना हुए हम इक दूजे से कभी फिर भी लड़ लेते थे चाहे जितना अपने गुस्से को जताते हुए था समझा हक हमने सदा इक दूसरे पर कहा कुछ भी हमने बिना कोई बात दिल से लगाए हुए जब लगी चोट आज बेहद गहरी हमें दिल पे लगा लिया उसने गले अपने प्यार से हमें रिझाते हुए ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ 8 testimonials// Gul e Naghmaa on promotional screening 🌺🌺🌺गुल-ए-नग़मा Challenge: submit before 6a.m monday (time-period Saturday Monday 6a.m) mentioning 'Done' in comment section. No plagiarism please. 💐नमस्कार ! साथियों