रहने दिया तुम्हे इसी धरा पर, हमे लगा था कि तुम वन्देमातरम चाहते हो, लेकिन अब तो तुम वन्देमातरम बोलने मे भी हिचकिचाते हो। अब समझने लगे हैं सभी धीर–धीरे आपकी चलबाजिया सारी, जनसंख्या बढ़ा रहे हो क्यूंकि एक नया पाकिस्तान चाहते हो। एक वक्त था जब तुमने नतमस्तक होकर मांगा था आश्रय हमसे, और एक ये दौर है कि अब हम ही को घूरकर आंखे दिखाते हो। घर बुलाकर ईद पर सेवईया खिलाकर सौहार्द दिखाने वालो, हमारे अपनो को तुम हमारे खिलाफ़ क्यूं भड़काते हो। जिन्होंने तुम्हारे जनेऊ उतार कर धर्मपरिवर्तन के लिए विवश किया था, कैसे निर्लज्ज हो तुम क्यूं ख़ुद को उन मुगलों का वंशज बताते हो। कैसी देशभक्ति है ये जनाब ज़रा ये बात समझाए हमे भी, भारत मे रहकर,भारत का खाकर,क्यूं फिर भारत के ही टुकड़े चाहते हो। अब समझने लगे हैं सभी धीर–धीरे आपकी चलबाजिया सारी, जनसंख्या बढ़ा रहे हो क्यूंकि एक और पाकिस्तान चाहते हो। क्यूं तुम बेवजह हर तरफ ये दंगे फसाद मचाते हो, क्या तुम योगी जी वाले उपचार पूरे देश मे लागू करवाना चाहते हो। ©Mr.KuldeepSinghPawar #my #Quote #your #Quotes #Trending #poem #India #Hindi