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मेरी दास्तां मासूम सी लड़की , पगली सी अनजानी सी

मेरी दास्तां 

मासूम सी लड़की , पगली सी अनजानी सी 
बेसुध सी रहती थी, बेवजह हसना ओर हसाना
हर दम रूठों को मानना, एक नजर पड़ी उस पर गुमसुम सा 
खुद में उलझा उलझा सा वो एक लड़का 
हाथों में मोबाईल था, ओर चेहरे पर सिकन 
ख़ामोश नज़रों से बेहिसाब बातें उसने एक पल 
में कह दी थी मानो फिर  हम दो राहों मैं  दो मुसाफिरों की तरह बट गए थे ....
पर शायद किस्मत को कुछ ओर ही मंज़ूर था दो साल बाद फिर वो 
वहीं मिला उसी मोड़ पर मिला  जहा उसे छोड़ कर आगे बढ़ी थी ....
इस बार पैगाम दोस्ती का उसने दिया था 
लाखों की भीड़ में दिल ने उसको चुना था ......
में मासूम वो फरेबी कुछ यूं हुआ था......
उसने मेरा हाथ थाम बाहें किसी ओर के लिए खोली थी 
हां थोड़ा टूटी जरुर थी 
पर खुद को संभाला था मने 
उसके रास्तों से खुद को मोड़ा था मैंने
छोड़ उसे उसी रास्ते पर फिर ज़िंदगी को थमा था मैंने
उस दिन ऐसे फरेबियों को जाना था मने.... उस दिन मोहब्बत से भरोसा उठा था पहली बार
मेरी दास्तां 

मासूम सी लड़की , पगली सी अनजानी सी 
बेसुध सी रहती थी, बेवजह हसना ओर हसाना
हर दम रूठों को मानना, एक नजर पड़ी उस पर गुमसुम सा 
खुद में उलझा उलझा सा वो एक लड़का 
हाथों में मोबाईल था, ओर चेहरे पर सिकन 
ख़ामोश नज़रों से बेहिसाब बातें उसने एक पल 
में कह दी थी मानो फिर  हम दो राहों मैं  दो मुसाफिरों की तरह बट गए थे ....
पर शायद किस्मत को कुछ ओर ही मंज़ूर था दो साल बाद फिर वो 
वहीं मिला उसी मोड़ पर मिला  जहा उसे छोड़ कर आगे बढ़ी थी ....
इस बार पैगाम दोस्ती का उसने दिया था 
लाखों की भीड़ में दिल ने उसको चुना था ......
में मासूम वो फरेबी कुछ यूं हुआ था......
उसने मेरा हाथ थाम बाहें किसी ओर के लिए खोली थी 
हां थोड़ा टूटी जरुर थी 
पर खुद को संभाला था मने 
उसके रास्तों से खुद को मोड़ा था मैंने
छोड़ उसे उसी रास्ते पर फिर ज़िंदगी को थमा था मैंने
उस दिन ऐसे फरेबियों को जाना था मने.... उस दिन मोहब्बत से भरोसा उठा था पहली बार
shikhadubey8430

Shikha Dubey

New Creator

उस दिन मोहब्बत से भरोसा उठा था पहली बार