“उसकी ज़िंदगी में थोड़ी सी जगह माँगी थी मुसाफिरों की तरह; उसने तन्हाईयों का एक शहर मेरे नाम कर दिया।” अगर मैं ये भी कहुँ की दुनिया बस अब मतलबी हैं, तो शायद मैं सही हूँ #आवारा_आशिक़