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संदेश गया हवन बनकर चेतन्य का अह्वाहन हुआ एक पुष्प

संदेश गया हवन बनकर
चेतन्य का अह्वाहन हुआ
एक पुष्प शरणागत हुआ
नव ग्रह का आलोक घना
शब्दों का यह शीश बना। आज पंजाबी की 20वीं सदी की महान लेखिका अमृता प्रीतम की 100वीं जयंती है। भारत विभाजन की त्रासदी को शायद ही इतने जीवंत अंदाज़ में किसी और लेखक ने उकेरा हो। उनकी कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास एवं निबंध एक आज़ाद ख़याल औरत की दास्तान हैं। दुःख स्थायी तो है लेकिन उस दुःख के कारणों की पड़ताल उनका प्रमुख विषय रहा। 
उन्होंने अल्फ़ाज़ को आग बनाने का काम किया जिसकी ज्वाला में मानव की तमाम पीड़ा स्वाहा हो जाये। 
#लफ़्ज़कोआगबनाया #अमृताप्रीतम #collab #yqdidi   #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #विप्रणु #yqdidi #yqbaba
संदेश गया हवन बनकर
चेतन्य का अह्वाहन हुआ
एक पुष्प शरणागत हुआ
नव ग्रह का आलोक घना
शब्दों का यह शीश बना। आज पंजाबी की 20वीं सदी की महान लेखिका अमृता प्रीतम की 100वीं जयंती है। भारत विभाजन की त्रासदी को शायद ही इतने जीवंत अंदाज़ में किसी और लेखक ने उकेरा हो। उनकी कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास एवं निबंध एक आज़ाद ख़याल औरत की दास्तान हैं। दुःख स्थायी तो है लेकिन उस दुःख के कारणों की पड़ताल उनका प्रमुख विषय रहा। 
उन्होंने अल्फ़ाज़ को आग बनाने का काम किया जिसकी ज्वाला में मानव की तमाम पीड़ा स्वाहा हो जाये। 
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