Nojoto: Largest Storytelling Platform

मेरी स्याही लड़ती है मेरे आँसुओ से जो गोल गोल बूँ

मेरी स्याही लड़ती है
मेरे आँसुओ से 
जो गोल गोल बूँदों 
सदृश उभर आते हैं 
पलकों की सीपी में
उनका स्वाति आने से पूर्व
मैं उन्हें भीतर धकेल देती हूँ 
मैं नहीं बल्कि मेरी कविताएँ
जो उस स्याही से लिखी है
जो खुशियों के वक्त मैंने समेट कर रखी थी
मुझे समझ नहीं आता 
कि लोग मुझे क्यों पूछते हैं 
कि तुम क्यों लिखा करती हो
मैं तो अत्यंत लोलुप हूँ
 किसी के लिए कैसे लिख सकती हूँ 
मैं स्वयं के लिए लिखती हूँ
अपने आँसुओं के लिए 
और अनकही बातों के लिए 
जो अपनी कविताओं के सिवाय 
किसी और से नहीं कह पाई। 
#अनाम_ख़्याल
#अनाम_कविताएँ
मेरी स्याही लड़ती है
मेरे आँसुओ से 
जो गोल गोल बूँदों 
सदृश उभर आते हैं 
पलकों की सीपी में
उनका स्वाति आने से पूर्व
मैं उन्हें भीतर धकेल देती हूँ 
मैं नहीं बल्कि मेरी कविताएँ
जो उस स्याही से लिखी है
जो खुशियों के वक्त मैंने समेट कर रखी थी
मुझे समझ नहीं आता 
कि लोग मुझे क्यों पूछते हैं 
कि तुम क्यों लिखा करती हो
मैं तो अत्यंत लोलुप हूँ
 किसी के लिए कैसे लिख सकती हूँ 
मैं स्वयं के लिए लिखती हूँ
अपने आँसुओं के लिए 
और अनकही बातों के लिए 
जो अपनी कविताओं के सिवाय 
किसी और से नहीं कह पाई। 
#अनाम_ख़्याल
#अनाम_कविताएँ