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बिछड़ते वक़्त ये आंखे तेरी नम तो नहीं थी हवायें ते

बिछड़ते वक़्त ये आंखे तेरी नम तो नहीं थी
हवायें तेरे मोहाने की विषम तो नहीं थी
तेरे न बुलाने पर तेरे शहर आता कैसे
सिलहरी से...........ये दूरी कम तो नहीं थी
कुंअर अरुण
Poet&writer lyricits shayar
Save tree 🌳save water 💦 #Silhari से #s....
बिछड़ते वक़्त ये आंखे तेरी नम तो नहीं थी
हवायें तेरे मोहाने की विषम तो नहीं थी
तेरे न बुलाने पर तेरे शहर आता कैसे
सिलहरी से...........ये दूरी कम तो नहीं थी
कुंअर अरुण
Poet&writer lyricits shayar
Save tree 🌳save water 💦 #Silhari से #s....