शहर तेरा शहर ,गाँव नही हैं धूप है पर छाव नही है यहाँ भीड़ है, ईमान नही है भूखे है चुप,नाम नही है बंद हैं छत्ते है ,खुला आसमान नही है दीवारों में है कैद सब ,खुला बागान नही ऊंची उड़ाने है बेसक यहाँ, चाँद छू जाने की ज़िद सरेआम नही हैं ये तेरा शहर है "mirzya"" मेरा गाँव नही। धूप हैं यहाँ छाव नही है।