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इक जमाना हो गया तुमसे मिले,। हमें इस जमाने

इक  जमाना  हो गया  तुमसे  मिले,।
हमें   इस  जमाने  में  तुम से  मिले ।

मिरा   राज़ - दाँ  पूछता  है मुझसे ,।
हम  क्यों,  कहां,  कब, कैसे  मिले ।

छुपाए  थे  जिसने  खुद  से  कभी,।
आख़री  ख़त  हमें  सिरहाने  मिले ।

हर   दुआ   बे-असर  लगने लगी , ।
शहनाइयों  के जब  लिफ़ाफे मिले ।

कैसे  बताऊं  सब  पूछते  हैं  लोग,।
जो  ज़ख़्म तेरी  निशानी  से  मिले ।

फ़साना-ए-ग़म  सुनाती  है दीवार,।
चिराग़ों  मैं  जलते  परवाने   मिले ।

जो चाहते न थे  उन्हें चाहत मिली,।
हमको उस चाहत से शिकवे मिले ।

हमें  इब्तिदा-ए-इश्क़ के सफ़र में,।
ऐ  ग़म-गुसार  ये ख़ार  तिरे  मिले ।

अंजाम-ए-मोहब्बत बताऊं कैसे, ।
ग़म-ए-हयात  सारे के सारे मिले, ।

उससे  बिछड़  कर  हैरां  हो  क्यूं, ।
उसको भी  इश्क में  फ़तवे  मिले ।

©Darshan Raj #a
#gazal #nazm #bazm_e_nazm
#bazm_e_urdu #Darshan_Raj #Shayar #shayri  #rekhta #Nojoto    RAVINANDAN Tiwari  Anshu writer  Internet Jockey vks Siyag Sudha Tripathi
इक  जमाना  हो गया  तुमसे  मिले,।
हमें   इस  जमाने  में  तुम से  मिले ।

मिरा   राज़ - दाँ  पूछता  है मुझसे ,।
हम  क्यों,  कहां,  कब, कैसे  मिले ।

छुपाए  थे  जिसने  खुद  से  कभी,।
आख़री  ख़त  हमें  सिरहाने  मिले ।

हर   दुआ   बे-असर  लगने लगी , ।
शहनाइयों  के जब  लिफ़ाफे मिले ।

कैसे  बताऊं  सब  पूछते  हैं  लोग,।
जो  ज़ख़्म तेरी  निशानी  से  मिले ।

फ़साना-ए-ग़म  सुनाती  है दीवार,।
चिराग़ों  मैं  जलते  परवाने   मिले ।

जो चाहते न थे  उन्हें चाहत मिली,।
हमको उस चाहत से शिकवे मिले ।

हमें  इब्तिदा-ए-इश्क़ के सफ़र में,।
ऐ  ग़म-गुसार  ये ख़ार  तिरे  मिले ।

अंजाम-ए-मोहब्बत बताऊं कैसे, ।
ग़म-ए-हयात  सारे के सारे मिले, ।

उससे  बिछड़  कर  हैरां  हो  क्यूं, ।
उसको भी  इश्क में  फ़तवे  मिले ।

©Darshan Raj #a
#gazal #nazm #bazm_e_nazm
#bazm_e_urdu #Darshan_Raj #Shayar #shayri  #rekhta #Nojoto    RAVINANDAN Tiwari  Anshu writer  Internet Jockey vks Siyag Sudha Tripathi