उक्ति प्रयोग: अपनी–अपनी ढपली अपना–अपना राग अपनी–अपनी ढपली अपना–अपना राग इंसान के जीने का यही होता अंदाज़ सबका होता अलग–अलग रंग और ढंग जीते अपने शान में होकर मस्त मलंग अनुशीर्षक में;//👇👇 राजनीति की नीचता में राजनीतिज्ञ हो जाते जनता के सामने नंग इनका कोई नहीं लेना देना होता जनता की मांग से होता नहीं इनका देश की जनता से कोई सरोकार अरे! नालायकों कभी तो डरो उस ख़ुदा और परवरदिगार से देख आज़ की स्थिति को जनता के मन में उठता सवालों के तरंग फ़िर भी जनता इनको चुनती अपने मन में भर कर उमंग आज़ की परिदृश्य को देखते सबको चलना होगा संग–संग