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हर शाम मुंतज़िर सा रहता है वो एक बसर की तलाश में ज

हर शाम मुंतज़िर सा रहता है
वो एक बसर की तलाश में
ज़रा सी हवा क्या चली
आवारा सा परिंदा अपना
शहर ही भूल गया...

 M.Mirza # Har sham # evening# shayari
हर शाम मुंतज़िर सा रहता है
वो एक बसर की तलाश में
ज़रा सी हवा क्या चली
आवारा सा परिंदा अपना
शहर ही भूल गया...

 M.Mirza # Har sham # evening# shayari