हरसिंगार फूलों सा साथ, छूटकर भी सदा जुड़ा रहेगा, डाली से टूटके भी देता ख़ुशबू, ऐसे ही रिश्ता महकेगा। वक़्त, हालात, मौसम से फ़ितरत अपनी बदलता नहीं, कुचला या चढ़ाया जाए, फिर भी खिलना भूलता नहीं। आओ देखो कभी तुम बिन मेरी शामों का रंग कैसा है! तुम बिन मेरे दिन-रात और मेरे जीने का ढंग कैसा है! होता है मौसम के मिज़ाज का एहसास तुम्हारे साथ ही, तुम अगर क़रीब नहीं तो जैसे मेरा कोई वजूद भी नहीं। हमारी ज़िंदगी, हमारे हाथ में, सँवारना है कि बिगाड़ना, दोष किस-किस को दें, जब सब हमीं को है संभालना। Rest Zone 'हरसिंगार' #restzone #rztask226 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #yqdidi #rzhindi #हरसिंगार