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प्रभु चरणों मे समर्पण अर्थात पूर्ण समर्पण हो। यहाँ

प्रभु चरणों मे समर्पण अर्थात पूर्ण समर्पण
हो। यहाँ किसी भी प्रकार का मोल-भाव
ना ही आये तभी भक्ति पूर्ण आयाम को
पाती है।

©Jai Pathak
  भक्ति