ना हकिमों की ख़बर ना बहानो की कहिं आह निकली है बेजुबानों की किसी का ग़म सम्भले तो अच्छा हो सिमटती जगह है अब शमशानों की बहुत फ़िज़ूल सी शिकायत लगती है सब जब करतें है बात कुछ निशानों की खैरियत रखो अपनी दुआ देते चलो अब गलतियां बहुत सी है यहां इंसानों की ZinDagi-e-SaGar www.zindagiesagar.com ©Satendra Awasthi #BurningSoul ना हकिमों की ख़बर ना बहानो की कहिं आह निकली है बेजुबानों की किसी का ग़म सम्भले तो अच्छा हो सिमटती जगह है अब शमशानों की