#OpenPoetry कभी कभी में छत पे चढ़ कर रोने जाता हूँ कभी कभी में अासमान से ऑख मिलाता हूँ कभी कभी में सीधे चलता फिर मुड़ जाता हूँ कभी कभी में चलते चलते ही सो जाता हूँ कभी कभी अपनों की खातिर में दब जाता हूँ कभी कभी सपनों की खातिर में उठ जाता हूँ कभी कभी में दिल की सुनता फिर झुठलाता हूँ कभी कभी में सच्चाई को गले लगाता हूँ कभी कभी में छत पे चढ़ कर रोने जाता हूँ कभी कभी दुनिया की बातों से घबराता हूँ कभी कभी हिम्मत करके सबसे लड़ जाता हूँ कभी कभी बचपन की यादों में खो जाता हूँ कभी कभी तन्हा होकर ही में हस पाता हूँ कभी कभी में छत पे चड़ कर रोने जाता हूँ Ashu awara #OpenPoetry a lonely boy feeling