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रोज़ शाम #ज़रूरत का #लिबास उतार कर #ख़्वाहिशें ओढ़

रोज़ शाम #ज़रूरत का #लिबास उतार कर #ख़्वाहिशें ओढ़ लेता हूँ,
मैं जब #दफ़्तर से घर लौटता हूँ, #फ़िक़्र को रास्ते में छोड़ देता हूँ। ,#😊😊😊
रोज़ शाम #ज़रूरत का #लिबास उतार कर #ख़्वाहिशें ओढ़ लेता हूँ,
मैं जब #दफ़्तर से घर लौटता हूँ, #फ़िक़्र को रास्ते में छोड़ देता हूँ। ,#😊😊😊
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Ajay

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