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मन में उठती लहरें, जैसे सागर का हो ज्वार। कभी

 मन में उठती लहरें,  
जैसे सागर का हो ज्वार।  
कभी शांति की चाहत,  
कभी हिलोरें हर बार।
चिंताओं की भीड़ में,  
खो जाता है विश्वास।  
खुशियों की तलाश में,  
मिलता है नया प्रकाश।
भावनाओं का सागर,  
कभी गहरा, कभी उथला।  
संघर्षों की नाव में,  
साहस से हो सामना।
मन की इन लहरों को,  
शांत करने का है मंत्र।  
धैर्य, प्रेम और सच्चाई,  
यही जीवन का केंद्र।

©Balwant Mehta
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Balwant Mehta

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