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कल मर्दानी 2 फ़िल्म देखी, बहुत हिला देने वाली फ़िल

कल मर्दानी 2 फ़िल्म देखी, बहुत हिला देने वाली फ़िल्म है! पुरुष वर्ग का हर तबका, चाहे वह कोई साधारण युवक हो, चाहे पुलिस अफसर या फ़िर मीडिया रिपोर्टर, महिला के प्रति एक नकारात्मक, घृणित व ओछी सोच से भरा हुआ था! यहाँ एक बात ग़ौर करने लायक है कि  युवक के घर की पृष्ठभूमि तो सोचनीय है लेकिन एक पुलिस अधिकारी और पत्रकार.. क्या अपने घर में वे अपनी पत्नी, बहिन, माता और पुत्री को देख कर भी यही सोच रखते होंगे? क्या उन सभी को वैसा ही जीवन जीना चाहिए जैसा उनका दृष्टिकोण था? पर्दे में रहकर, पत्थर की मूर्ति, जिसकी कोई संवेदना नहीं, कोई भावना नहीं, बस उनकी इच्छा नुसार चलती रहे, कोई आवाज नहीं, कोई इच्छा, आकांक्षा अपनी रख न पाए, क्या ऎसा हो सकता है?
अपने आपको एक बेटा, एक पति, एक भाई और पिता के स्थान पर रख कर उन्हें देखे..... वह उन्हे केवल एक स्त्री, एक महिला के रूप में ही क्यों देखता है? #मर्दानी #30. 05.20
कल मर्दानी 2 फ़िल्म देखी, बहुत हिला देने वाली फ़िल्म है! पुरुष वर्ग का हर तबका, चाहे वह कोई साधारण युवक हो, चाहे पुलिस अफसर या फ़िर मीडिया रिपोर्टर, महिला के प्रति एक नकारात्मक, घृणित व ओछी सोच से भरा हुआ था! यहाँ एक बात ग़ौर करने लायक है कि  युवक के घर की पृष्ठभूमि तो सोचनीय है लेकिन एक पुलिस अधिकारी और पत्रकार.. क्या अपने घर में वे अपनी पत्नी, बहिन, माता और पुत्री को देख कर भी यही सोच रखते होंगे? क्या उन सभी को वैसा ही जीवन जीना चाहिए जैसा उनका दृष्टिकोण था? पर्दे में रहकर, पत्थर की मूर्ति, जिसकी कोई संवेदना नहीं, कोई भावना नहीं, बस उनकी इच्छा नुसार चलती रहे, कोई आवाज नहीं, कोई इच्छा, आकांक्षा अपनी रख न पाए, क्या ऎसा हो सकता है?
अपने आपको एक बेटा, एक पति, एक भाई और पिता के स्थान पर रख कर उन्हें देखे..... वह उन्हे केवल एक स्त्री, एक महिला के रूप में ही क्यों देखता है? #मर्दानी #30. 05.20