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बहकी-बहकी बातें करना,कुछ भी कहना,सुनते रहना । यह क

बहकी-बहकी बातें करना,कुछ भी कहना,सुनते रहना ।
यह कैसी तेरीआदत है?सुनकर ताने सहते रहना।।
अभी अभी तू ठीक तो था,फिर कब बहका,कैसे बहका?
किस भाव-समुन्दर मे भटका ? तू क्यों भटका, कैसे भटका ?
मुझको को तो तुझ पर यकीं बहुत, औरों को कैसे समझाऊँ, 
यह तो तेरी ही हिम्मत है  सुनते रहना , हंसते रहना।।
मैं समझ गयी ,मैं समझ गयी ,किसका जादू छाया तुझ पर,
यह उन घूँटो की ताकत है,जो तूने गटके ,पर कब गटके ?
अब देर हुई,घर लौट भी आ, पत्नी घर राह तके तेरी,
यह ठीक नहीं बाहर रहकर ,ठोकर खाकर ,रातें करना ।।
बहकी बहकी बातें करना, कुछ भी कहना ,सुनते रहना ।
यह कैसी तेरी आदत है ?सुनकर ताने सहते रहना ।
पुष्पेन्द्र" पंकज "

©Pushpendra Pankaj
  अब लौट भी आ !

अब लौट भी आ ! #कविता

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