रात के अंधेरों में खेल रहे हैं, चांद और सितारे सारे आसमान के बगीचे में। खिलकर चांद की चांदनी भी, चांदनी अपनी बिखेर रही है हमारे आंगन में। जुगनू भी टिमटिमा रहें हैं सब, झिलमिल रोशनी भी आ रही है झरोखों से। मदहोश हवाओं ने नींदें उड़ा रखी हैं, बेचैन है दिल अब आ जाओ कहीं से। जज्बात बहक रहे हैं, आगोश में तेरे आने को, आकर हमको लगा लो गले से। दिल से चाहते हैं तुमको, तुम हमारे बन जाओ, तुम्हारे लिए लड़े जाएंगे खुदा से। सम रूल्स ** यह प्रतियोगिता 18 है । ** कोलैब ऑक्शन कृपया ऑफ करें आप लोग कोलैब करने के बाद । ** समय - दोपहर के 02 : 30 बजे तक कोलैब कर सकते हैं ।