गुल्लक ले के आओ सिक्कें जमा करते हैं बचपन मैं जोड़ी गईं दौलत का, फ़िर से घमंड करते हैं तुम दौड़ के जाना वहीं चूरन की गोली लेने कुछ खट्टी होंगी, कुछ मीठी होंगी दादी देगी तुम्हें दस रूपयें, उस दस मैं तुम नाचते हुए पूरी मंडली जमा करना बहन लड़ेंगी तुमसे फ़िर,तुम ज्यादा लाड़ले क्यों तुम इतराते हुए दादी के गले लग जाना मैं रूठ जाओगी जब तो ,तुम मुझे अपनी गोलियां चूसने को दे दोंगे रात भर जाग कर कहानियाँ सुनेंगे तो वहीं फ़िर सुबह उठ कर कहानियों का सच जानने निकलेंगे गुल्लक ले के आओ सिक्कें...... ©Shraddha Shrivastava गुल्लक ले आओ सिक्कें जमा करते हैं