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हद से आगे बात बढ़ने को चली जनवरी सूनी ग



हद से आगे बात बढ़ने को चली        
जनवरी  सूनी  गुज़रने  को चली        

वस्ल अब ही तो हुआ था ऐ फ़लक   
और अब ही रुत बिछड़ने को चली     

ये पहल क्या ख़ूब लाई रंग है              
ज़िन्दगी थोड़ी सवरने को चली           

ज़ख़्म  फ़िरसे हो रहे  हैं क्यों हरे     
क्यों दुबारा इश्क़ करने को चली        2122 2122 212


हद से आगे बात बढ़ने को चली        
जनवरी  सूनी  गुज़रने  को चली        

वस्ल अब ही तो हुआ था ऐ फ़लक   
और अब ही रुत बिछड़ने को चली     

ये पहल क्या ख़ूब लाई रंग है              
ज़िन्दगी थोड़ी सवरने को चली           

ज़ख़्म  फ़िरसे हो रहे  हैं क्यों हरे     
क्यों दुबारा इश्क़ करने को चली        2122 2122 212
sunnyambarsariya4676

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