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धृतराष्ट्र - उवाच ******************* जो अवगुणों

 धृतराष्ट्र - उवाच
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 जो अवगुणों का समुद्र को लिए हुए और
 अयोग्य राजा होते हुए जो आज तक ना हुआ है ?
इतिहास में इसके शिवा और ना ही होगा भविष्य में ।
तुच्छता गुणों से अयोग्य होते हुएं भी राजा बन सके।
 धृतराष्ट्र -उवाच वचन से ही समस्त पृथ्वी पर,
 इससे ही प्रमाण मिलता है ।
भगवान किसी के भी ना तो ।
अवगुणों को ग्रहण करता है 
और ना गुणों ग्रहण करता है।
अर्थात शुभ और असुभ आपके कर्मों से भी।
 निवृत्त रहता है भगवान समस्त पृथ्वी पर।
क्योंकि
 ऐसा होता तो भगवान अपनी पवित्र वाणी श्री गीता जी।
मैं श्रीव्यास जी द्वारा प्रथम शब्द धृतराष्ट्र - उवाच से
 सम्बोधित ना करते हुए शुरू करते अपनी वाणी को।

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