ऐ जिंदगी भला और कितने तजुर्बे सिखलाओगी, अपने और कितने रंग दिखलाओगी,, अभी-अभी तो अरमानों की चीखा सेक कर हटा हूं , इस दिल को और कितना जलाओगी , जो कुछ भी था मेरा अपना सब छीन लिया तुमने, सांसे बची हैं इन्हे लेने कब आओगी,, यादों में करवटें बदलते गुजर जाती है रात मेरी, सुकून से भरी नींद आखरी कब सुलाओगी,, #ऐजिंदगी