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White पुरानी किताबों मे ना मालूम कैसे सिमट ज़ाती

White पुरानी किताबों मे
ना मालूम कैसे 
सिमट ज़ाती हैं
अनगिनित यादें;
यूँ ही जैसे छत के जीने 
और अंधेरे कोने में 
कुछ अधूरी बातें 
अब तक
मुँह फुलाये पड़ी हैं;
सूखे गुलाबों के 
रंग उतरने के बावजूद 
यादों की ख़ुशबू 
अब भी साँसों को महकाती है..
अजीब होती हैं यादें ,
कल की होती हैं 
फिर भी उँगली थामे
आज में आ जाती हैं,
यूँ जैसे आज की रूह-
अकेला कैसे छोड़ दे अपने तन को..

©Rishi Ranjan  hindi poetry poetry in hindi Extraterrestrial life Hinduism
White पुरानी किताबों मे
ना मालूम कैसे 
सिमट ज़ाती हैं
अनगिनित यादें;
यूँ ही जैसे छत के जीने 
और अंधेरे कोने में 
कुछ अधूरी बातें 
अब तक
मुँह फुलाये पड़ी हैं;
सूखे गुलाबों के 
रंग उतरने के बावजूद 
यादों की ख़ुशबू 
अब भी साँसों को महकाती है..
अजीब होती हैं यादें ,
कल की होती हैं 
फिर भी उँगली थामे
आज में आ जाती हैं,
यूँ जैसे आज की रूह-
अकेला कैसे छोड़ दे अपने तन को..

©Rishi Ranjan  hindi poetry poetry in hindi Extraterrestrial life Hinduism
rishiranjan1390

Rishi Ranjan

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