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नींद में से अँगड़ाई लेते लेते हम, सायकिल लेके पहुंच

नींद में से अँगड़ाई लेते लेते हम,
सायकिल लेके पहुंचते क्रिकेट ग्राउंड।

दोस्तों के साथ किये वो प्रैक्टिस,
हर रविवार को खेला वो मैच।

करते खूब मस्ती स्कूल के दोस्तों के साथ,
पिछली बेंच मे बैठकें वो तरह तरह की आवाजें निकालना। 

घर पे आके वो स्कूल बैग फेंकना, 
और गलियों मे जाकर खेलना। 

पापा से वो डाट खाना और मम्मी का हर वक़्त बचाना, 
बहन के साथ वो नोक नोकझोंक। 

बचपन अब गुजरे जमाने की बात हो गई है, 
लेकिन वो सुहानी यादें आज भी जिंदा हैं  इस दिल में। सुप्रभात,
🌼🌼🌼🌼

🌼आज का हमारा विषय "बचपन की सुहानी यादें" बहुत ख़ूबसूरत है,
आशा है आप लोगों को टॉपिक पसंद आएगा।

🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए।
नींद में से अँगड़ाई लेते लेते हम,
सायकिल लेके पहुंचते क्रिकेट ग्राउंड।

दोस्तों के साथ किये वो प्रैक्टिस,
हर रविवार को खेला वो मैच।

करते खूब मस्ती स्कूल के दोस्तों के साथ,
पिछली बेंच मे बैठकें वो तरह तरह की आवाजें निकालना। 

घर पे आके वो स्कूल बैग फेंकना, 
और गलियों मे जाकर खेलना। 

पापा से वो डाट खाना और मम्मी का हर वक़्त बचाना, 
बहन के साथ वो नोक नोकझोंक। 

बचपन अब गुजरे जमाने की बात हो गई है, 
लेकिन वो सुहानी यादें आज भी जिंदा हैं  इस दिल में। सुप्रभात,
🌼🌼🌼🌼

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आशा है आप लोगों को टॉपिक पसंद आएगा।

🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए।