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ज़िंदगी तो हौले-हौले बढ़ती रही आगे

ज़िंदगी तो हौले-हौले बढ़ती रही आगे
                 बस तेरे चले जाने का दर्द रह गया,
बीते लम्हों के बारे में सोचकर क्या करता
                जब पुल के नीचे से पानी बह गया
तन्हाई उदासी और तल्ख़ हालातों से 
                 बस इक रिश्ता सा बनकर रह गया
दीया जला था जो मोहब्बत का वो 
                 बुझकर बस धुंआ धुंआ सा रह गया
यादों के बादल उमड़ते है आँखों में
                अधरों पर बारिश का असर रह गया
मुमकिन नही हथेली में सब समेट लेना
               'अंजान' मुझमें कुछ बाक़ी सा रह गया। ♥️ Challenge-531 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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ज़िंदगी तो हौले-हौले बढ़ती रही आगे
                 बस तेरे चले जाने का दर्द रह गया,
बीते लम्हों के बारे में सोचकर क्या करता
                जब पुल के नीचे से पानी बह गया
तन्हाई उदासी और तल्ख़ हालातों से 
                 बस इक रिश्ता सा बनकर रह गया
दीया जला था जो मोहब्बत का वो 
                 बुझकर बस धुंआ धुंआ सा रह गया
यादों के बादल उमड़ते है आँखों में
                अधरों पर बारिश का असर रह गया
मुमकिन नही हथेली में सब समेट लेना
               'अंजान' मुझमें कुछ बाक़ी सा रह गया। ♥️ Challenge-531 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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