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प्रभाती - दोहे *************** आस किरण के साथ में

प्रभाती - दोहे 
***************
आस किरण के साथ में,जाग मनुज अब जाग। 
 मंजिल आगे हैं खड़ी , अब  तो  निंद्रा  त्याग।। 

जाग  मनुज अब तो जरा, अपनी आंखे खोल। 
छाई   नभ  में  लालिमा, पंछी  के   सुन बोल।। 

दिनकर   राजा  आ  गये, लेकर  नई   प्रभात। 
मानव  उठ अब  जाग जा, पंछी  करते  बात।।

©Uma Vaishnav #morning
#prabhati
प्रभाती - दोहे 
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आस किरण के साथ में,जाग मनुज अब जाग। 
 मंजिल आगे हैं खड़ी , अब  तो  निंद्रा  त्याग।। 

जाग  मनुज अब तो जरा, अपनी आंखे खोल। 
छाई   नभ  में  लालिमा, पंछी  के   सुन बोल।। 

दिनकर   राजा  आ  गये, लेकर  नई   प्रभात। 
मानव  उठ अब  जाग जा, पंछी  करते  बात।।

©Uma Vaishnav #morning
#prabhati
umavaishnav1851

Uma Vaishnav

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